Thursday, August 02, 2007

चलता राही

चलता राही


मेरी जिन्दगी सिर्फ एक सफ़र है

और चला जा रह हूँ

पता नही किस की तलाश मॆं

कुछ खो गया था, उसे पाने की आस मॆं

बारिश का मौसम था,

बहारें खिल रही थी

मेरी जिन्दगी के पतझ्ड मॆं

कलियाँ भी मर राही थी

कुछ पाने की आस मॆं

ना बुझने वाली प्यास मॆं

और चला जा रह हूँ

पता नही किस तलाश मॆं

तुफानो से लड़ता हुआ

आँधियों से झगड्ता हुआ

और चला जा रह हूँ

ना जाने किस आस मॆं

मिलेगी कभी उम्मीद की किरण

ऐसा कहता है मेरा मन

और चला जा रह हूँ

एक मुकम्मल राह मॆं