भूल जाओ
आंखें भर आयी हैं उनका इंतज़ार करते करते
थक सा गया हूँ, प्यार करते करते।
थक सा गया हूँ, प्यार करते करते।
मना किया था लोगों ने , ना लगाओ दिल जालिम से
मगर ये दिल ना माना , मोहब्बत हुई कातिल से।
गुजरता हुआ हर पल, मुझसे कह रहा है
वो ना आएगी, भूल जा उसे
याद उसकी ना भुलाई जाती है,
लाख चाहा , फिर भी वो याद आती है।
याद उसकी ना भुलाई जाती है,
लाख चाहा , फिर भी वो याद आती है।
वो चंदन सा तन, वो सुन्दर नयन
वो बारिश की रात, वो मधुर मुस्कराहट ।
नही भुला सकता मैं, लाख मैं चाहूँ
ना आये वो, मैं क्यों उसे भुलाऊँ।
3 comments:
dost tum aur kavitayen? mujhe pata nahin tha ki tum bhi likhte ho...kahir bohot aacha laga likha hia.... yeh batao iss dard mein kitni sachchai hai?
At times, hindi version of your latest poem...
@anonymous
haan dost kuch likhne ka koshish kar rahe hai
@abhishek
I could not understand your comment
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